शीत युद्ध से क्या तात्पर्य है तथा विश्व राजनीति पर इसके प्रभाव का विवेचना कीजिए
शीत युद्ध से तात्पर्य युद्ध का बहिष्कार या त्याग नहीं बल्कि दो महा शक्तियों यूएसए एंड यूएसएसआर के मध्य सीधे टकराव की अनुपस्थिति है शीत युद्ध के तमाम वर्षों में तीसरी दुनिया में व्यापक घातक मुठभेड़ होती रही
शीत युद्ध शब्द से सोवियत संघ अमेरिकी शत्रुता पूर्ण तथा तनावपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विभक्ति होती है जो कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व राजनीति की वास्तविकता है इस शत्रुता पूर्ण संबंधों को गर्म युद्ध में परिवर्तित किए बिना इस शीत युद्ध में वैचारिक घृणा राजनीतिक अविश्वास कूटनीतिक जोड़-तोड़ सैनिक प्रतिस्पर्धा जासूसी और कटुता पुरुष संबंध देखे गए
शीत युद्ध की परिभाषा करते हुए जवाहरलाल नेहरू के ने कहा कि यह एक ऐसा युद्ध है जो युद्ध क्षेत्र में नहीं बल्कि मनुष्य के मस्तिष्क में लड़ा जाता है और इसके द्वारा विचारों पर नियंत्रण प्राप्त किया जाता है.
शीत युद्ध शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 16 अप्रैल 1947 को प्रणाम भरूच ने दक्षिण कैलोरी कैरोलिन विधानमंडल में भाषण देते हुए किया अनेक विद्वानों का मानना है कि शीत युद्ध के काल में राज ने ने युद्ध की और युद्ध ने राजनय की शक्ल ली अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर अनेक देशों का महत्व सिर्फ उनकी भू राजनीतिक स्थिति के कारण घटा बड़ा तथा गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों की राजनैतिक भूमिका सदा सही मध्यस्थ के रूप में निरंतर बढ़ती गई
शीत युद्ध की प्रमुख विशेषताएं
शीत युद्ध एक ऐसी स्थिति है जिसे मुल्तान शांति कहा जाना चाहिए ऐसी स्थिति में ना तो पूर्ण रूप से शांति रहती है और ना ही वास्तविक युद्ध होता है बल्कि शांति व युद्ध की बीच की अस्थिर स्थिति बनी रहती है. हालांकि यह वास्तविक युद्ध नहीं होता किंतु यह स्थिति युद्ध की प्रथम सीढ़ी है जिसमें युद्ध के वातावरण का निर्माण होता रहता है या ऐसे ही स्थिति है जिसमें दोनों परस्पर शांति कालीन कूटनीतिक संबंध कायम रखते हुए भी परस्पर शत्रुता भाव रखते हैं और स्वस्थ स्वस्थ युद्ध को छोड़कर अन्य समस्त उपायों का सहारा लेकर एक दूसरे की स्थिति दुर्बल बनाने का प्रण करते हैं
शीत युद्ध के संबंध में फ्लेमिंग के ने कहा है कि शीतयुद्ध का उद्देश्य शत्रु को अलग-थलग रखना और मित्रों को जीतना होता है
विश्व राजनीति प्रोसीट्यूट का प्रभाव
विश्व राजनीति कोशिश थी कि शीत युद्ध ने अत्यधिक प्रभावित किया इसमें विश्व में भय और आतंक के वातावरण को जन्म दिया जिसे शास्त्रों की ओर बढ़ी इसने संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था को पंगु बना दिया और विश्व को दो गुटों में विभक्त कर दिया शीत युद्ध के प्रभाव में निम्न प्रकार है
विश्व का दो गुटों में विभाजित हो ना
शीत युद्ध के कारण विश्व राजनीति का स्वरूप विपक्षी बन गया संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ दो पृथक विचारों का प्रतिनिधित्व करने लगे अब विश्व की समस्याओं को इसी गुट बंदी के आधार पर आंका जाने लगा दी से अंतरराष्ट्रीय समस्याएं उलझनपुण बन गई
भाई और संदे का वातावरण
महा शक्तियों की आपसी टकराव के कारण विश्व समुदाय के देशों में एक दूसरे के प्रति निरंतर भय एवं संधि का वक्र अल्पना इस प्रतिकूल वातावरण में अंतर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सहयोग एवं विश्वास उत्पन्न करने में अनेक बाधाएं खड़ी की
आणविक विधु की संभावना कब है
1945 में आठवीं की शास्त्र का प्रयोग किया गया शीत युद्ध के वातावरण में यह महसूस किया जाने लगा कि अगला जी यूट्यूब भयंकर आठवीं की दो का युवा संकट के समय की संभावना बढ़ गई थी
निशस्त्रीकरण की असफलता
शीत युद्ध ने शास्त्री करण की होड़ को बढ़ावा दिया जिसके कारण विश्व शांति निशस्त्रीकरण की योजनाएं धूमिल हो गए
सैनिक संघ युवा सैनिक गठबंधन कब आओगे
शीत युद्ध ने विश्व में सैनिक संघ युवा सैनिक गठबंधन को जन्म दिया ना टो सी ए धोखे से 2 तथा 12 स्पेक्ट जैसे सैनिक गठबंधन का प्रादुर्भाव शीत युद्ध का परिमाण था इसके कारण शीत युद्ध में उग्रता आई उन्होंने निशस्त्रीकरण की समस्या को और अधिक जटिल बना दिया
संत राष्ट्र संघ का अवमूल्यन
संयुक्त राष्ट्र संघ शीत युद्ध के काल में महा शक्तियों की राजनीति का अखाड़ा बनकर रह गया और इसे शीतयुद्ध के वातावरण में राजनीतिक प्रचार का साधन बना दिया गया इस समय दोनों महा शक्तियों ने अपनी हठधर्मिता के कारण वीरों का दुरुपयोग किया
मानवी कल्याण के कार्यक्रमों की उपेक्षा
शीत युद्ध के कारण विश्व राजनीति का केंद्रीय बिंदु सुरक्षा की समस्या तक ही सीमित रह किया और मानव कल्याण से संबंधित कोई महत्वपूर्ण कार्यों का स्वरूप कोड हो गया शीत युद्ध के कारण ही तीसरी दुनिया के विकासशील देशों की भुखमरी बीमारी बेरोजगारी अशिक्षा आर्थिक पिछड़ापन राजनीतिक अस्थिरता आदि अनेक महत्वपूर्ण समस्याओं के उचित निदान यथासंभव संभव नहीं हो सका क्योंकि महा शक्तियों का दृष्टिकोण मुख्यतः शक्ति की राजनीति ताकि से मित्रा
ईद का विश्व राजनीति पर सकारात्मक प्रभाव
शीत युद्ध के कारण सांतिपुर सा अस्तित्व को प्रोत्साहन मिला और तीसरी दुनिया के राष्ट्रों को उपनिवेशवाद से सही मायने में मुक्ति मिली
शीत युद्ध के कारण शांति पुरुष अस्तित्व को प्रसन्न मिला
शीत युद्ध के कारण तकनीकी व प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी आई
संयुक्त राष्ट्र संघ में निर्णय सकती सुरक्षा परिषद के बजाय महासभा को हस्तांतरित हो गई
राष्ट्रों की विदेश नीति में यथार्थवाद का अर्थ विभाग हुआ
शीत युद्ध से शक्ति संतुलन की स्थापना हुई
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