Breaking

Labels

privacy policy

गठबंधन सरकार पर निबंध ।Essay on political alliance
इस निबंध में आप को , गठबंधन सरकार की परिभाषा ,
गठबंधन सरकार की उपलब्धिां ,गठबंधन सरकार के फायदे , गठबंधन सरकार के नुकसान ,भारतीय राजनीति में गठबंधन की सरकार , की संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।
गठबंधन सरकार का अर्थ
गठबंधन सरकार का तात्पर्य ऐसी सरकार से है जो दो या दो से अधिक दलों के गठजोड़ से बनाई जाती है । दलों के बीच गठजोड़ चुनाव के पहले या बाद में होते है । गठबंधन सरकार में अनेक दलों से मंत्री बनाए जाते है और सरकार का संचालन किया जाता है।
गठबंधन सरकार की आवश्यक्ता क्यू ।
चुनव के पहले या बाद में जब दलों को लगता है कि वे इस स्थिति में नहीं होगे या है कि अकेले अपने दम पर  सरकार का निर्माण कर सके तब गठबंधन की अवश्यक्ता पड़ती है।
गठबंधन सरकार के फायदे
1- संघवाद को बढ़ावा - भारत विविधताओं से भरा देश है भारतीय संविधान ने संघवाद को अपनाया है ।केंद्रीय सरकार के निर्माण में क्षेत्रीय दलों की भागीदारी संघवाद को बढ़ाने में मददगार है ।
२- विचारो का सामंजस्य - गठबंधन सरकार में विभिन्न विचारधारओं वाले दल जब मिलकर सरकार बनाते है तो सरकार के नीतियों में विचारों का सामंजस्य प्राप्त होता है।
३- क्षेत्रीय दलों का विकास चुनाव से पूर्व किए गए गठबंधन क्षेत्रीय दलों को बरकरार रखने में मददगार होती है। क्षेत्रीय दल अपने क्षेत्रों की समस्याओं से अच्छी तरह परिचित होते है।
४- संतुलित विकास - गठबंधन में क्षेत्रीय दलों के समिल होने से हर क्षेत्रों में विकास लगभग समान होने लगता है।
५- लोकतंत्र को बढ़ावा - चूकिं लोकतंत्र का अर्थ होता है लोगो का शासन और बड़े और बड़े देशों में विविधता होती है जिस कारण एक विचारधारा वाली दलों को अपने दम पर चुनाव जीतना मुश्किल का काम हो सकता है।इस कारण विभिन्न विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाली दलों के बीच गठबंधन लोकतंत्र को बढ़ावा देने का काम करते है।
गठबंधन सरकार के नुकसान -
१- सरकार की अस्थिरता - दो या दो से अधिक जोड़ से बनी सरकार में नीतियों या मंत्रियों के संख्या को लेकर मनमुटाव की स्थिति बनी रहती है,जिससे सरकार कभी भी गिरने का जोखिम बना रहता है।
२- सामूहिक उत्तरदायित्व का पालन ना हो पाना - संसदीय प्रणाली की प्रमुख सिद्धांत मंत्रिमंडल का सामूहिक उत्तरदायित्व है परन्तु गठबंधन सरकार में इसका पालन नहीं हो पाता  है।
३- क्षेत्रीय हितों का राष्ट्रीय हितों पर हावी होना - गठबंधन सरकार बनाने क्षेत्रीय दलों की  महत्वपुण  भूमिका होती है वे राष्ट्रीय हितो के स्थान पर क्षेत्रीय हितों को बढ़ावा देते है।
४- निर्णय लेने में देरी - गठबंधन सरकार ने अनेक दलों के समिल होने के कारण किसी भी निर्णय पर बहुमत हासिल करने के लिए सबकी सहमती आवश्यक हो जाती है ।जिस कारण निर्णय लेने में देरी होती है।
भारत में गठबंधन सरकार
भारत में सर्व प्रथम 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में पहली गठबंधन सरकार बनी जो गैर कांग्रेसी गठबंधन था ।इसमें मुख्य रूप  से जनता दल कांग्रेस एस ,तेलगु देशम पार्टी तथा असम की क्षेत्रीय पार्टी असम परिषद शामिल थे। इस गठबंधन के प्रधानमत्री विस्वप्रताप सिंह थे ।जिन्होंने 1988 में कांग्रेस में व्याप्त भ्रष्टचार के कारण जनता दल की स्थापना की।
आरक्षण के मुद्दे पर वी.पी सिंह की सरकार गिरने पर जनता दल का विघटन हुआ और चंद्रशेखर ने जनता दल के 580लोकसभा सांसद को लेकर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई परन्तु ये गठबंधन कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के कारण ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकी और सरकार गिर गई ।
1992 में राजीव गांधी की हत्या और उससे मिलने वाली सहानुभूति के कारण कांग्रेस ने नरसिम्हा राव के नेतृत्व में सरकार बनाई और अपना 5वर्ष का कार्यकाल पूरा किया ।
1996 में 11 वा लोकसभा चुनाव हुआ इस चुनाव हुआ  इस चुनाव मे किसी दल को बहुमत प्राप्त नही हुआ। राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया बाजपेई ने 16मई 1996 को प्रधानमंत्री पद का सपथ लिया परंतु 13 दिन बाद ही बहुमत न साबित कर पाने के कारण त्याग पत्र देना पडा। तत्पश्चात एच.डी.देवगौड़ा ने कांग्रेस के समर्थन से 11 महिने तक सरकार चलाया।
इसी दौरान आई.के गुलजार को काग्रेंस ने समर्थन देकर उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया ।परंतु ऐ संयुक्त मोर्चा भी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सका कांग्रेस ने समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दिया।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन
1998 मे 12 वीं लोकसभा चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल का. गठन हुआ। इस दल को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ परंतु सबसे बडे दल के रूप मे अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी परंतु 13 महिने बाद ए.आई.डी एम के. पाटी ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के कारण यह सरकार गिर गई।
1999मे दुबारा चुनाव हुआ और इस बार एनडीए को पुणं बहुमत प्राप्त हुई और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी और इस बार उन्होंने अपना 5 साल का कार्य काल पुरा किया।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंध
साल 2004 मे लोकसभा का चुनाव हुआ और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी हालांकि इस गठबंधन को भी2008 मे बहुमत साबित करने की जरूरत पड़ी और मनमोहन सिंह ने अपना कार्य काल पुरा किया ।
यूपीए ने 2009 के 14वीं लोकसभा चुनाव में भी बड़े गठबंधन के रूप में सामने आई और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई।
2014 -2019 की नरेंद्र मोदी की सरकार
2014 मे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की पुणं  बहुमत की सरकार बनी । यह पहली बार था जब किसी गैर कांग्रेसी दल को पुणं बहुमत प्राप्त हुआ। 2019 के चुनाव में भी एनडीए ने बहुमत प्राप्त किया है।
गठबंधन सरकार की समीक्षा
भारत मे सुरुवाती दौर में जरूर गठबंधन को अनेक उतार चढाव का सामना करना पडा कई बार सरकारें गिरी दुबारा चुनाव कराए गए।परंतु2004-2009 और 2014-2019 मे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने स्थिरता प्राप्त की है।

No comments:

Post a Comment